सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है मुझको मेरी तन्हाई से अब शिकायत नहीं है, “मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता आह-ओ-ज़ारी ज़िंदगी है बे-क़रारी ज़िंदगी कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी आंखों से दूर हूँ, मोबाइल से नहीं, कभी https://youtu.be/Lug0ffByUck